ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लिडिया थॉर्प ने किंग चार्ल्स के खिलाफ संसद में विरोध करते हुए कहा, "तुम मेरे राजा नहीं हो।"
लिडिया लंबे समय से ब्रिटिश राजशाही की आलोचना कर रही हैं, और उन्होंने किंग चार्ल्स पर आदिवासियों के नरसंहार का आरोप लगाया।
उन्हें आदिवासी अधिकारों और राजशाही विरोधी संदेश को लेकर अक्सर आलोचना और विरोध का सामना करना पड़ा है।
संसद में अपने विरोध के दौरान लिडिया ने किंग चार्ल्स से उनकी ज़मीन और आदिवासी अवशेषों को लौटाने की मांग की।
लिडिया का संदेश वायरल हुआ, जिससे उनकी आवाज़ वैश्विक स्तर पर फैली और आदिवासी अधिकारों की चर्चा को नया रूप मिला।
लिडिया के इस कदम की कुछ आदिवासी नेताओं ने आलोचना की, जबकि कई कार्यकर्ताओं ने उनके साहस को सराहा।
कुछ नेताओं ने इसे "अपमानजनक" बताया, जबकि कुछ ने इसे आदिवासी अधिकारों के संघर्ष में "जरूरी कदम" कहा।
ब्रिटिश और ऑस्ट्रेलियाई नेताओं ने इस विरोध की निंदा की, लेकिन लिडिया अपने "सच्चाई बताने" के संदेश पर कायम रहीं।
लिडिया ने स्पष्ट किया कि वह आदिवासी अधिकारों के लिए अपनी आवाज़ उठाती रहेंगी, चाहे उसे कोई भी आलोचना मिले।
लिडिया का यह विरोध आदिवासी समुदायों के संघर्षों को वैश्विक मंच पर उजागर करने का एक महत्वपूर्ण कदम बन गया है।