टेलीविजन पर रावण के खलचरित्र को जीवंत कर घर-घर अपनी पहचान बनाने वाले दिग्गज अभिनेता अरविंद त्रिवेदी चिरनिद्रालीन हो गए। टीवी के इस लंकेश की अपनी आवाज अब भले ही मौन हो गई लेकिन उनके अभिनय की बुलंद आवाज इतिहास के पन्नों में हमेशा गूंजती रहेगी। टीवी पर रावण के चरित्र को कालजयी बनाने वाले अरविंद त्रिवेदी ने आजीवन निजी व सार्वजनिक जीवन मे प्रभु श्रीराम को ही अपना आदर्श माना था। यही वजह है कि मंगलवार रात मुंबई में हृदयाघात से उनके निधन पर पूरा देश शोकाकुल है।

दूरदर्शन पर नब्बे के दशक में प्रसारित रामायण धारावाहिक में रावण बने अरविंद त्रिवेदी को इस सीरियल को देखने वाला कोई भी व्यक्ति कभी भूल नहीं पाएगा। अरविंद त्रिवेदी का जन्म 8 नवंबर 1938 को मध्य प्रदेश में हुआ था। वह करीब चालीस साल तक रंगमंच, टीवी व सिनेमा से जुड़े रहे। उन्होंने करीब 300 फिल्मों (अधिकतर गुजराती) में अभिनय किया था। पर गुजरात से इतर पूरे देश में उनकी पहचान प्रतिष्ठित हुई रामायण सीरियल से। इसके बाद भी कई सीरियल बने लेकिन अरविंद द्वारा निभाई गई भूमिका के आसपास भी कोई नहीं पहुंच सका। “मैं लंकाधिपति रावण” या “मैं लंकेश” से शुरू होने वाला संवाद लोगों को आज भी याद है। धारावाहिक विक्रम और बेताल में भी उनका अभिनय शानदार रहा। उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा प्रदान की गई गुजराती फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए सात पुरस्कार जीते थे। 2002 में उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था।
अरविंद त्रिवेदी ने राजनीति में भी छाप छोड़ी। वह 1991 से 1996 तक गुजरात के साबरकथा से बीजेपी के टिकट पर सांसद रहे। रामायण में रावण का खलचरित्र निभाने वाले अरविंद निजी और सार्वजनिक जीवन में भगवान श्रीराम के भक्त थे। वह सार्वजनिक तौर पर लोगों से श्रीराम के दिखाए रास्ते पर चलने की सीख देते थे। उनके निधन पर देश के बड़े राजनीतिज्ञों, रामायण सीरियल में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल, लक्षण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी व सिनेजगत के तमाम लोगों ने शोक जताया है।